घोंघे (Pila) प्रजनन कैसे करते हैं? घोंघे में प्रजनन प्रक्रिया
घोंघे (Pila) का वर्गीकरण (Classification)
जगत (Kingdom) - जन्तु (Animalia)
शाखा (Branch) - यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
प्रभाग (Division) - बाइलैटरिया (Bilateria)
उपप्रभाग (Subdivision) - प्रोटोस्टोमिया (Protostomia)
खण्ड (Section) - यूसीलोमैटा (Eucoelomata)
संघ (Phylum) - मोलस्का (Mollusca)
वर्ग (Class) - गैस्ट्रोपोडा (Gastropoda)
उपवर्ग (Subclass) - प्रोसोब्रैंकिया (Prosobranchia)
गण (Order) - मीसोगैस्ट्रोपोडा (Mesogastropoda)
हम यह पहले पढ़ चुके हैं कि घोंघें में नर और मादा दोनों अलग अलग होते हैं। हम इन दोनों के प्रजनन तंत्र के बारे में यहाँ पढ़ चुकें हैं। आज हम देखेंगे कि इनमें प्रजनन कैसे होता है और इसकी क्या प्रक्रिया होती है-
मैथुन (Copulation)
(i) पाइला बरसात के मौसम में प्रजनन करता है, जब इनमें लंबे समय तक रहने वाला शिथिलता का समय समाप्त हो जाता है।
(ii) इनमें संभोग की क्रिया पानी के नीचे या किनारों की नम जमीन पर होता है और तीन या चार घंटे तक जारी रह सकता है।
(iii) मैथुन के दौरान नर और मादा घोंघे एक-दूसरे के पास इस प्रकार आते हैं कि एक का दायां nuchal lobe दूसरे घोंघे के विपरीत स्थित होता है।
(iv) नर में जननांग पैपिला, जिसमें नर जननांग छिद्र होता है, लिंग के आधार से जुड़ जाता है, जो अपने आवरण के साथ मिलकर मादा के मेंटल गुहा में फैल जाता है।
(v) नर घोंघे के लिंग का सिरा मादा के जननांग छिद्र में प्रवेश करता है और नर के vesicula seminalis से शुक्राणु मादा के receptaculum seminis में स्थानांतरित हो जाते हैं।
ओव्यूलेशन (Ovulation)
(i) मैथुन (Copulation) के बाद इनमें ovulation होता हैं। घोंघे में निषेचन आंतरिक होता है लेकिन भ्रूण का विकास मादा के शरीर के बाहर होता है।
(ii) संभोग के दो दिन बाद Ovulation या oviposition की प्रक्रिया प्रारम्भ होती है।
(iii) यह एक समय में 200 से 800 अंडे देते हैं। यह अंडे नमी वाले तट पर सुरक्षित गुहा में दिए जाते हैं, लेकिन इन्हें कभी भी पानी के नीचे नहीं दिया जाता है।
(iv) यह अंडे मादा जननांग छिद्र से एक-एक करके बाहर आते हैं, पैर के दाहिनी ओर अस्थायी रूप से विकसित दो folds से बनी एक घुमावदार नली से नीचे की ओर जाते हैं, तथा जमीन में बने एक गुहा में रखे जाते हैं, जिसके ऊपर यह पैर के तलवे से एक गुम्बद का आकार बनाते हैं।
घोंघे का विकास (Development In Pila)
(i) नर तथा मादा घोंघे अंडों को सेते या उनकी देखभाल नहीं करते हैं, बल्कि वे उन्हें अपने आप विकसित होने के लिए छोड़ देते हैं। यह अंडे गोल और मटर के दाने जितने बड़े होते हैं।
(ii) प्रत्येक अंडे में एक बाहरी सफेद आवरण होता है, जिसके भीतर एक दोहरी खोल झिल्ली, ठोस सफेद albumen का एक मोटा पिंड और liquid albumen का एक छोटा सा केंद्रीय पिंड होता है, जिसमें भ्रूण (embryo) होता है।
(iii) विकास के दौरान, भ्रूण का visceral mass और shell सर्पिलाकार हो जाते हैं, और मरोड़ की एक विशिष्ट घटना घटित होती है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में विषमता (asymmetry) आ जाती है।
(iv) अंडों से निकलने वाले बच्चे या युवा घोंघे वयस्कों के समान ही होते हैं।
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