हाइड्रा (Hydra):वर्गीकरण, प्राकृतिक वास, संग्रह, संरचना,चित्र|hindi


हाइड्रा (Hydra) : वर्गीकरण, प्राकृतिक वास, संग्रह, संरचना, चित्र का वर्णन
हाइड्रा (Hydra):वर्गीकरण, प्राकृतिक वास, संग्रह, संरचना,चित्र|hindi

हाइड्रा (Hydra) की खोज लुइवेनहॉक (Leeuwenhoek, 1703) ने की थी। इसका विस्तृत वर्णन ट्रेम्बले (Trembley, 1700-1784) ने किया तथा इसे वर्तमान नाम लिनियस (Linnaeus) ने दिया। इसकी लगभग 20 जातियाँ ज्ञात हैं। भारत में इसकी चार जातियाँ अधिक मिलती हैं—हाइड्रा वलौरिस (H. vulgaris), हाइड्रा ओलाइगैक्टिस या पैल्मैटोहाइड्रा ओलाइगैक्टिस (H. oligactis or Plematohydra oligactis), हाइड्रा गैन्जेटिका (H. gangetica) तथा हाइड्रा विरिडिस्सिमा या क्लोरोहाइड्रा विरिडिस्सिमा (H. viridissima or Chlorohydra viridissima)

हाइड्रा का वर्गीकरण (Classification of Hydra)

जगत (Kingdom)     -     जन्तु (Animalia)
शाखा (Branch)        -     यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
खण्ड (Division)      -     रेडिएटा (Radiata)
संघ (Phylum)          -     नाइडेरिया (Cnidaria)
वर्ग (Class)              -     हाइड्रोजोआ (Hydrozoa)
गण (Order)             -     हाइड्रॉइडा (Hydroida)
श्रेणी (Genus)           -     हाइड्रा (Hydra)




हाइड्रा का प्राकृतिक वास एवं स्वभाव (Habitat and Habits)
  1. हाइड्रा स्वच्छ एवं शीतल जल वाले तालाबों, झीलों, नदियों आदि में मिलता है।
  2. अधिकांश समय यह अपने आधार सिरे से पौधों (मुख्यतः हाइड्रिला— Hydrilla) आदि पर चिपका रहता है।
  3. आधार वस्तु पर सीधा खड़ा न होकर यह एक कोण पर झुका रहता है।
  4. हाइड्रा स्थाई रूप से एक ही वस्तु पर नहीं चिपका रहता, बल्कि भोजन की खोज में गमन द्वारा स्थान परिवर्तन करता रहता है।
  5. उपयुक्त वातावरण में यह सक्रिय पोषण एवं मुकुलन (budding) द्वारा जनन करता रहता है। लैंगिक जनन अनुपयुक्त ऋतु (हमारे देश में ग्रीष्म) से पहले होता है।

हाइड्रा का संग्रह एवं संवर्धन (Collection and Culture of Hydra)
  1. हमारे देश में हाइड्रा प्रायः जाड़ों में पाया जाता है। अक्टूबर-नवम्बर में किसी स्वच्छ तालाब, पोखर या झील से हाइड्रिला घास-सहित कुछ जल लाकर प्रयोगशाला में शीशे के जार में 1-2 दिन रखिए। कुछ घण्टे बाद आपको जार की दीवार से चिपकी अनेक हाइड्री दिखाई देंगी।
  2. अगर उसे अधिक दिन रखना हो तो उस घास को शीशे के एक बड़े aquarium में रखिए। अब प्रतिदिन हाइड्री के लिए डैफ्निया (Daphnia) जैसे छोटे आर्थ्रोपोडा जन्तु, जो पोखरों में खूब मिलते हैं, कपड़े की जाली से छानकर aquarium में छोड़ते रहिए।
  3. हाइड्री मुकुलन द्वारा संख्या में बढ़ती रहेगी।
  4. ड्रॉपर से इनके स्पर्शकों के पास शिकार छोड़कर आप इनकी भोजन-अन्तर्ग्रहण की क्रिया भी देख सकते हैं।
  5. कुछ हाइड्री को छोटे पात्र में निकालकर पुनरुद्भवन, आरोपण, आदि के प्रयोग करें।

हाइड्रा की संरचना (Morphology of Hydra)

माप, आकृति एवं रंग (Size, Shape and Colour)हाइड्रा के शरीर ही माप, आकृति तथा रंग का वर्णन इस प्रकार है -
  1. हाइड्रा का शरीर महीन एवं लम्बा, नालवत् सा होता है।
  2. इसकी radial symmetry होती है। संघ नाइडेरिया में ऐसी आकृति वाले सदस्य polyps कहलाते हैं।
  3. इसके विपरीत, चपटे से, प्लेट या छातेनुमा आकृति वाले सदस्य मेड्यूसी (medusae) कहलाते हैं।
  4. कुछ के जीवन-चक्र  में पॉलिप एवं मेड्यूसा दोनों stages होती हैं।
  5. हाइड्रा का शरीर महीन सूई के बराबर मोटा और 3-4 मिमी से 1 सेमी तक लम्बा होता है। अतः ध्यान से देखने पर यह जलपात्र में दिखाई दे जाता है।
  6. इसके अंदर शरीर को बढ़ाकर अत्यधिक लम्बा करने या सिकोड़कर एक सूक्ष्म बिन्दु के बराबर छोटा करने की भी क्षमता होती है।
  7. इसका शरीर प्रायः अर्धपारदर्शक एवं सफेद-सा होता है। इसकी कुछ जातियों के सदस्य रंगीन भी होते हैं। उदाहरण के लिए, हाइड्रा (या क्लोरोहाइड्रा) विरिडिस्सिमा (H. or C. viridissima) हरे, तथा हाइड्रा (या पैल्मैटोहाइड्रा) ओलाइगैक्टिस (H. or P oligactis) भूरे रंग का होता है।
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हाइड्रा के बाह्य लक्षण (External Features) : हाइड्रा के बाह्य लक्षण इस प्रकार हैं -
  1. इसके नली जैसे शरीर का आधार छोर बन्द होता है और एक चपटी एवं चिपचिपी basal disc बनाता है। जिसके द्वारा हाइड्रा पौधों आदि से चिपका रहता है। यह इसे गमन में भी सहायता करता है।
  2. इसके शरीर का स्वतन्त्र हिस्सा एक छोटे से उभार के रूप में होता है जिसे hypostome कहते हैं।
  3. Hypostome के ऊपर एक छोटा-सा गोल मुखद्वार होता है।
  4. इसकी वृत्ताकार आधार रेखा पर 6 से 10 लम्बे एवं महीन धागेनुमा tentacles का गोल घेरा होता है।जिसे हाइड्रा विविध दिशाओं में घुमाता रहता है।
  5. Tentacles शरीर की भाँति खोखले (नालवत्) और संकुचनशील होते हैं। जो गमन, भोजन ग्रहण एवं शत्रुओं से सुरक्षा में सहायता करते हैं।
  6. हाइड्रा का शरीर दो भागों में विभाजित होता है—पतला आधार भाग या वृन्त (stalk or peduncle) तथा कुछ फूला हुआ और गहरे से रंग का भाग जिसे जठर भाग (gastric region) कहते हैं। बाकी शरीर पर एक या अधिक buds तथा, जनन काल में ठोस, अस्थाई वृषण एवं अण्डाशय भी छोटे-छोटे उभारों के रूप में दिखाई पड़ते हैं।
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हाइड्रा की सकल संरचना (Gross Anatomy of Hydra)
  • हाइड्रा के नालवत् शरीर में, ल्यूकोसोलीनिया की तरह ही एक बड़ी गुहा होती है और इसके चारों ओर महीन देहभित्ति का आवरण होता है।
  • इस गुहा को सीलेन्ट्रॉन (coelenteron) या gastrovascular cavity कहते हैं।
  • यह cavity शरीर के स्वतन्त्र सिरे पर मुखद्वार से बाहर खुलती है और खोखले tentacles में भी फैली होती है।
  • अधिक विकसित मेटाजोआ की सीलोम (coelom) गुहा से यह तीन प्रमुख लक्षणों में भिन्न होती है-
  1. (i) इसके चारों ओर मीसोडर्मल एपिथीलियम (पेरिटोनियम– peritoneum) का आवरण नहीं होता है।
  2. (ii) इसमें सीलोमिक द्रव्य नहीं भरा होता है। 
  3. (iii) इसमें कुछ पाचन क्रिया (digestion) भी होती है।
  • इसके शरीर की body wall  में दो epithelial layers होते हैं— outer epidermis तथा inner gastrodermis।
  • दोनों epithelial layers को परस्पर चिपकाए रखने के लिए बीच में लचीले तथा पारदर्शक जेलीनुमा म्यूकोपॉलीसैकेराइड (mucopolysaccharide) पदार्थ का बना एक महीन निर्जीव स्तर होता है। जिसे मीसोग्लिया (mesogloea) कहते हैं। इसका स्रावण दोनों epithelial layers की कोशिकाएँ करती हैं। 
  • इसमें लम्बे कोलेजन (collagen) एवं इलास्टिन (elastin) तन्तुओं का जाल फैला होता है, किन्तु इसमें कोशिकाएँ नहीं होतीं हैं।

एपिडर्मिस (Epidermis)
यह अपेक्षाकृत पतली एवं अर्धपारदर्शक होती है। यह भ्रूण की एक्टोडर्म (ectoderm) से बनती है। इसकी कोशिकाएँ मुख्यतः घनाकार (cuboidal) होती हैं। इसके बाहर उपचर्म (cuticle) जैसी महीन झिल्ली का आवरण होता है। यह शरीर की सुरक्षा करने के अलावा, संवेदी और आकुञ्चनशील (retractable) होती है।

गैस्ट्रोडर्मिस (Gastrodermis) 
यह एपिडर्मिस से लगभग दुगुनी मोटी होती है और भ्रूण की एण्डोडर्म (endoderm) से बनी होती है। इसकी कोशिकाएँ मुख्यतः स्तम्भी (columnar) होती हैं। इसका प्रमुख कार्य एक पाचक एवं आकुञ्चनशील स्तर के रूप में होता है।
हाइड्रा के भ्रूण में मीसोडर्म (mesoderm) स्तर नहीं बनता है। अतः स्पंजों की भाँति, हाइड्रा एवं अन्य सभी नाइडेरिया के सदस्य भी द्विस्तरीय (diploblastic) होते हैं। 


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