पौधों में विलगन (Abscission in Plants) : परिचय, क्रिया|hindi


पौधों में विलगन (Abscission in Plants) : परिचय, क्रिया
पौधों में विलगन (Abscission in Plants) : परिचय, क्रिया|hindi

बहुत-से काष्ठीय पौधों में शरद् ऋतु की समाप्ति पर पत्तियों पेड़ से झड़ जाती हैं। कुछ सदाबहार पौधों में सभी पत्तियाँ एक साथ नहीं झड़ती परन्तु अलग-अलग समय में पत्तियाँ झड़ती हैं या पुरानी पत्तियाँ गिरने से पूर्व ही नयी पत्तियाँ निकल आती हैं। ऐसे पौधे सदैव हरे-भरे दिखाई देते हैं। कभी-कभी पुष्प, पुष्प के विभिन्न अंग तथा फल भी झड़ते हैं। इस क्रिया को विलगन (abscission) कहते हैं। इस क्रिया में पौधा क्षत (injured) नहीं होता है।

यह पतझड़ प्रायः पत्ती के पर्णवृत्त (petiole) पर या पुष्पों और फलों के पुष्पवृन्त (pedicel) के आधार पर एक विशेष प्रकार की परत बनने से होता है। 
इस प्रकार की परत को विलगन परत (abscission layer) कहते हैं। झड़ने से पूर्व पत्तियाँ पर्णहरिम (chlorophyll) नष्ट होने के कारण पीली हो जाती हैं जिसे जीर्णावस्था (senescent stage) कहते हैं। बहुत-से उत्सर्जी पदार्थ (waste products) भी पत्तियों में एकत्रित हो जाते हैं। इस प्रकार पत्तियों के विलगन द्वारा वे पत्तियाँ जो प्रकाश संश्लेषण के योग्य नहीं रहती पौधों से अलग हो जाती हैं। इसके साथ ही इस क्रिया द्वारा पौधों को उत्सर्जी पदार्थों से भी छुटकारा मिल जाता है। अनेक पौधों में पतझड़ के कारण परागण क्रिया आसान हो जाती है। पत्तियों के न रहने के कारण पुष्प सुगमता से वायु द्वारा परागित हो जाते हैं, जैसे नाशपाती, बादाम, आदि। कभी-कभी वातावरणीय परिवर्तनों जैसे अधिक ठण्ड या शुष्कता के कारण पौधों में जल की कमी हो जाती है, क्योंकि ये पर्याप्त मात्रा में जल का अवशोषण नहीं कर पाते। ऐसी दशा में वाष्पोत्सर्जन द्वारा जल की हानि रोकने के लिये भी पत्तियाँ गिर जाती हैं।

विलगन परत (abscission layer = separation layer) कैम्बियम के प्रकार की मृदूतक (parenchyma) कोशिकाओं की दो पट्टियों की बनी होती है। ये कोशिकाएं पर्णवृन्त के दूसरे ऊतकों की कोशिकाओं से भिन्न होती हैं। इस परत की कोशिकाएं छोटी होती हैं और इनमें जीवद्रव्य और मण्ड की मात्रा अधिक होती है। पर्णवृन्त में विलगन परत से नीचे की कोशाओं में गोंद संचित हो जाता है और वाहिकाओं (vessels) में टाइलोसिस (tyloses) बन जाते हैं तथा फ्लोएम के चालनी पट पर कैलोज प्लग (callose plug) बन जाने से भोजन स्थानान्तरण रुक जाता है। विलगन परत की मृदूतक कोशाओं की मध्य पटलिका (middle lamella) और बाह्य भित्तियाँ फूल जाती हैं और श्लेषी होकर अन्त में एक-दूसरे से अलग हो जाती हैं। अब पत्ती केवल संवहन बण्डलों द्वारा मातृ पौधे से लगी रहती हैं और हल्का-सा छुए जाने पर या वायु के हल्के से झोंके से यह संवहन बण्डल टूट जाता है और पत्ती नीचे गिर जाती है।

विलगन परत के ठीक नीचे कॉर्क कोशिकाओं की एक परत बन जाती है और इस प्रकार, पत्ती के गिरने के कारण घाव के ऊपर एक रक्षात्मक परत की तरह कार्य करती है। बाद में इस घाव के ऊपर परिचर्म (periderm) बन जाती है जो पूर्व की परिचर्म (periderm) से जुड़ जाती है। विलगन क्रिया के प्रमुख कारणों में, पोषक तत्वों का भूमि से कम मात्रा में अवशोषण तथा वृद्धि रोधक (growth inhibitors) पदार्थों, जैसे एबसीसिक अम्ल (Abscissic acid-ABA), आदि का उत्पन्न होना है।

पौधों में विलगन (Abscission in Plants) : परिचय, क्रिया|hindi


विलगन को प्रभावित करने वाले हार्मोन इस प्रकार हैं-
  1. एबसिसिक अम्ल (Abscisic Acid) - पत्तियों का विलगन (Abscission of leaves) —एबसिसिक अम्ल के विलयन को पत्तियों पर छिड़कने से उनका शीघ्र ही विलगन हो जाता है।
  2. इथाइलीन (Ethylene) — इथाइलीन पत्तियों, फलों व पुष्पों के विलगन को तीव्र करता है।
  3. ऑक्सिन (Auxin) — बहुत-से पौधों में कुछ फल पूर्णरूप से परिपक्व होने से पूर्व ही पेड़ से गिर जाते हैं और खाने के प्रयोग में नहीं लाये जा सकते, जैसे सेब और नाशपाती आदि में। यह विलगन पुष्पवृन्त के नीचे की ओर एक विलगन परत (abscission layer) बन जाने के कारण होता है। यदि किसी ऑक्सिन की विशेष सान्द्रता का विलयन ऐसे पेड़ों के ऊपर छिड़क दिया जाये तब इन अपरिपक्व फलों का विलगन नहीं होता है। पत्तियों व फलों के झड़ने को भी ऑक्सिन छिड़कने से काफी समय तक रोका जा सकता है। 


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