Wuchereria bancrofti का जीवन चक्र (Life cycle of Wuchereria bancrofti)
Wuchereria bancrofti का जीवन चक्र दो host में पूरा होता हैं। पहला मनुष्य और दूसरा मच्छर। इसमें संभोग तब होता है जब दोनों नर तथा मादा Wuchereria एक ही लसीका ग्रंथि में मौजूद होते हैं। मादा Wuchereria viviparous (संभवतः ovoviviparous) होती है, जो अनेक शिशुओं को पैदा करती है, जिन्हें microfilariae कहते हैं। जब ये पैदा होते हैं तो यह बहुत ही immature state में होते हैं, वास्तव में ये microfilariae juveniles न होकर सिर्फ भ्रूण होते हैं। ये बहुत ही सूक्ष्म होते हैं, जिनकी लम्बाई लगभग 0.2 से 0.3 मिमी होती है। यह भ्रूण एक नाजुक क्यूटिकुलर आवरण से घिरे होते हैं और इनमें विभिन्न वयस्क संरचनाओं के मूल अंश होते हैं।
माइक्रोफाइलेरिया (microfilaria) का शरीर, सतही आवरण युक्त एपिडर्मल कोशिकाओं (epidermal cells) तथा कोशिकाद्रव्य के एक आंतरिक स्तंभ से बना होता है, जिसमें नाभिक (nuclei) होते हैं।
इसके आगे के सिरे से पीछे की ओर कई महत्वपूर्ण संरचनाएं होती हैं जिनमें future mouth या oral stylet, nerve ring band, nephridiopore, renette cell, गहरे रंग का आंतरिक maas, 4 बड़ी कोशिकाएं और बनने वाला गुदा शामिल होते हैं।
लसीका वाहिकाओं में छोड़े गए माइक्रोफाइलेरिया शीघ्र ही रक्त वाहिकाओं में प्रवेश कर जाते हैं और सक्रिय गति दिखाते हुए रक्त के साथ प्रवाहित होने लगते हैं। अंततः वह वक्ष (thorax) की गहरी रक्त वाहिकाओं में निवास करने के लिए चले जाते हैं। लेकिन जब तक इसका मध्यवर्ती पोषक, यानी मच्छर*, उन्हें चूस नहीं लेते, तब तक उनका आगे विकास नहीं होता है।
मनुष्य के रक्त में यह माइक्रोफाइलेरिया दिन और रात की आवधिकता (periodicity) प्रदर्शित करते हैं, जिसे दैनिक लय (diurnal rhythm) कहते हैं। दिन के समय वह बड़ी गहरी रक्त वाहिकाओं में रहते हैं, लेकिन रात में या नींद के दौरान यह त्वचा की सतही या परिधीय वाहिकाओं (superficial or peripheral vessels) में आ जाते हैं, जहाँ रात्रिचर मच्छर (क्यूलेक्स या एडीज़) उन्हें चूसते हैं, जो मध्यवर्ती पोषक के रूप में कार्य करते हैं। मानव रक्त में मौजूद माइक्रोफाइलेरिया अंततः तब मर जाते हैं, जब तक वे संक्रमित मानव से रक्त चूसने वाले मध्यवर्ती पोषक द्वारा निगल नहीं लिए जाते हैं ।
मच्छर के पेट में, माइक्रोफाइलेरिया अपने आवरण खो देते हैं, पेट की दीवार में घुस जाते हैं और वक्षीय मांसपेशियों (thoracic muscles) या पंखों की मांसपेशियों (wing musculature) में चले जाते हैं। यह तीन चरण में बड़ा होता है। पहले वह एक मोटे सॉसेज के आकार के जीव में, बाद में एक लम्बे आकार में, और अंत में अर्थात तीसरे संक्रामक चरण में एक लंबे, पतले किशोर में बदल जाता हैं।
यह माइक्रोफाइलेरिया लगभग 10 दिनों में दो बार निर्मोचन (moults) से गुजरते हैं और तीसरे चरण के लार्वा तक पहुँचते हैं, जो लगभग 1.5 मिमी लंबे होते हैं। इसके बाद यह संक्रमित किशोर Wuchereria मच्छर के लेबियम में चले जाते हैं।
जब यह मच्छर अपनी proboscis किसी अन्य human host में चुभोता है, तो संक्रमित युवा जीव लेबियम से निकलकर host की त्वचा पर आ जाते हैं। यह संभवतः मच्छर द्वारा बनाए गए घाव को भेदकर human host के रक्त में प्रवेश कर जाते हैं।
नए human host में यह juveniles lymph glands और lymph passages में प्रवेश करते हैं, जहाँ वे कुंडली मारकर रहते हैं और धीरे धीरे वयस्क रूप में विकसित हो जाते हैं। यह वयस्क Wuchereria संभोग करते हैं और मादाएँ माइक्रोफाइलेरिया को जन्म देती हैं। ऐसे ही यह जीवन चक्र चलता रहता है।
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