सामान्य टोड-ब्यूफो (Bufo) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|hindi


सामान्य टोड-ब्यूफो (Bufo) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन
सामान्य टोड-ब्यूफो (Bufo) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|hindi

सामान्य टोड-ब्यूफो (Bufo)
बरसात में, सूर्यास्त के बाद, सड़कों, बाग-बगीचों, खेतों, आदि में फुदकने वाला मेंढक टोड (toad) होता है। हमारे देश में ब्यूफो मिलैनोस्टिक्टस (Bufo melanostictus) नामक जाति का टोड अधिक मिलता है। यह ऐसा उभयचर होता है जो भूमि पर ही अधिक रहता है तथा केवल जनन के लिए जल में जाता है। दिन में यह पत्थरों, लक्कड़ों आदि के नीचे छायादार स्थानों में छिपा रहता है। रात्रि में शिकार की खोज में निकलता है, अर्थात् रात्रिचर (nocturnal) होता है। इससे जुड़े अन्य तत्वों के बारे में हम नीचे जानेंगे।

वर्गीकरण (Classification)

जगत (Kingdom)                 -         जन्तु (Animalia)
शाखा (Branch)                    -         यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
प्रभाग (Division)                  -         बाइलैटरिया (Bilateria)
उपप्रभाग (Subdivision)      -        ड्यूटरोस्टोमिया  (Deuterostomia)
खण्ड (Section)                    -        यूसीलोमैटा (Eucoelomata)
संघ (Phylum)                      -         कॉर्डेटा  (Chordata)
महावर्ग (Superclass)          -         चतुष्पादा (Tetrapoda)
वर्ग (Class)                           -          ऐम्फिबिया (Amphibia)
उपवर्ग (Subclass)              -          सैलेन्शिया (Salientia)
गण (Order)                          -           ऐन्यूरा (Anura)

सामान्य टोड-ब्यूफो (Bufo) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|hindi

लक्षण (Characteristic)
सामान्य टोड-ब्यूफो के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
  1. टोड का शरीर लगभग 5 से 13 सेमी लम्बा होता है जिस पर अनेक उभरी हुई विष ग्रन्थियाँ होती है जिसके कारण  इनकी त्वचा खुरदरी (warty) एवं सूखी-सी होती है। विष ग्रन्थियाँ एक दूधिया विषैले पदार्थ का स्रावण करती हैं। 
  2. इनके नेत्रों के पीछे एक-एक बड़ी, फूली हुई विष ग्रन्थि होती है जिसे पैरोटॉएड ग्रन्थियाँ (parotoid glands) कहते हैं। विष ग्रन्थियों द्वारा स्रावित विष के कारण टोड को अपनी आत्मरक्षा पर भरोसा होता है। इसीलिए, यह निडर होकर स्वच्छन्द इधर-उधर घूमता है।
  3. इसकी तुण्ड (trunk) चौड़ी और आगे से गोल-सी होती है। 
  4. इनके पीछे के पैरों की अँगुलियों के बीच अर्धविकसित जाल उपस्थित रहते हैं तथा समस्त अँगुलियों के छोर काले व हॉर्नी होते हैं।
  5. यह खेतों व खलिहानों आदि में फसल के लिए हानिकारक कीड़े-मकोड़ों का शिकार करता है।
  6. इसका मुख अर्धवृत्ताकार-सा होता है तथा मुख-ग्रासन गुहिका (oral cavity) मेंढक के विपरीत, दन्तविहीन होती है। जिह्वा भी छोर पर कटी हुई नहीं होती है।
  7. इसका यकृत द्विपिण्डकीय होता है।
  8. अंसमेखला में एपीस्टर्नम एवं ओमोस्टर्नम अनुपस्थित होते है। एपीकोरैकॉएड्स एक-दूसरी पर चढ़ी हुई रहती है तथा आठवीं कशेरुका प्रथम सात की भाँति अग्रगर्ती होती है।
  9. इनमें अण्डनिक्षेपण (egg-laying) जल में होता है। यह अण्डसमूह या स्पॉन (spawn) लम्बी पट्टी के रूप में दिखाई देते हैं। छोटे व काले से अण्डाणु मादा के अवस्कर द्वार से दो-दो की लड़ियों में निकलते हैं। भेकशिशु जलचर और रंगा के कारण अत्यधिक काला होता है।


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