मेंढक (Frog)– राना टिग्रिना
मेंढक (Frog)– राना टिग्रिना
मेंढक मुख्यतः बारिश के दिनों में दिखने वाला सामान्य उभयचर जीव होता है। यह टोड से पूरी तरीके से भिन्न नहीं होता किंतु कुछ कुछ लक्षण उससे भिन्न होते हैं। मेंढक से संबंधित अन्य तथ्यों के बारे में हम नीचे जानेंगे
मेंढक का वर्गीकरण (Classification of Frog)
जगत (Kingdom) - जन्तु (Animalia)
शाखा (Branch) - यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
प्रभाग (Division) - बाइलैटरिया (Bilateria)
उपप्रभाग (Subdivision) - ड्यूटरोस्टोमिया (Deuterostomia)
खण्ड (Section) - यूसीलोमैटा (Eucoelomata)
संघ (Phylum) - कॉर्डेटा (Chordata)
महावर्ग (Superclass) - चतुष्पादा (Tetrapoda)
वर्ग (Class) - ऐम्फिबिया (Amphibia)
उपवर्ग (Subclass) - सैलेन्शिया (Salientia)
गण (Order) - ऐन्यूरा (Anura)
1. मेंढक जल-स्थलचर दोनों होते हैं अर्थात यह जल में या जलाशयों के निकट नम भूमि पर दोनों जगह पाए जाते हैं।
2. यह मुख्यतः दिनचर (diurnal) होते हैं अर्थात यह दिन में बाहर निकलते हैं।
3. इसका शरीर 12 से 20 सेमी लम्बा होती है तथा त्वचा श्लेष्म के कारण चिकनी व लसलसी होती है। इसमें विष ग्रन्थियाँ अनुपस्थित रहती है।
4. मेंढक में पैरोटॉएड ग्रन्थियाँ अनुपस्थित होती है।
5. इसकी तुण्ड (trunk) नुकीली-सी होती है।
6. इसके पीछे के पैर आगे के पैरों से अपेक्षाकृत अधिक लम्बे होते हैं।
7. इनकी अँगुलियों के बीच विकसित जाल होता है तथा इसकी अँगुलियों के सिर काले नहीं होते हैं।
8. मेंढक के मुख-ग्रासन गुहिका में ऊपरी जबड़े में दाँत उपस्थित रहते हैं।
9. इसकी जीभ स्वतन्त्र छोर पर द्विशाखित हो जाती है।
10. मेंढक की अंसमेखला में ओमोस्टर्नम तथा एपिस्टर्नम होती हैं।
11. इसकी कशेरुकदण्ड के इधर-उधर स्वैमर्डम की चूना ग्रन्थियाँ उपस्थित रहती है।
12. इसमें नवीं कशेरुका के अनुप्रस्थ प्रवर्ध बाहर व पीछे की ओर झुके रहते है। यूरोस्टाइल के अग्र छोर पर नवीं कशेरुका के दो उभारों के लिए दो गड्ढे होते है तथा आठवीं कशेरुका उभयगर्ती व नवीं अगर्ती होती है।
13. मेंढक में यकृत तीन पिण्डों में बँटा-सा रहता है।
14. इसमें अवस्कर मार्ग में दोनों मूत्रवाहिनियाँ पृथक् छिद्रों से खुलती हैं।
15. इसका स्पॉन असममित आकार का होता है।
16. मेंढक के अण्डे हल्के काले रंग के तथा डिम्भक हल्के रंग का होता है।
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