एक वृक्षाश्रयी टोड - हायला (Hyla)
हमारे देश में कई प्रकार के वृक्षाश्रयी (arboreal) अर्थात् पौधों और चट्टानों, आदि पर चढ़ जाने वाले टोड पाए जाते हैं। इनमें हायला श्रेणी के टोड काफी मिलते हैं। इससे सम्बंधित अन्य तथ्यों के बारे में हम नीचे पढ़ेंगे।
वर्गीकरण (Classification)
जगत (Kingdom) - जन्तु (Animalia)
शाखा (Branch) - यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
प्रभाग (Division) - बाइलैटरिया (Bilateria)
उपप्रभाग (Subdivision) - ड्यूटरोस्टोमिया (Deuterostomia)
खण्ड (Section) - यूसीलोमैटा (Eucoelomata)
संघ (Phylum) - कॉर्डेटा (Chordata)
महावर्ग (Superclass) - चतुष्पादा (Tetrapoda)
वर्ग (Class) - ऐम्फिबिया (Amphibia)
उपवर्ग (Subclass) - सैलेन्शिया (Salientia)
गण (Order) - ऐन्यूरा (Anura)
लक्षण (Characteristic)
वृक्षाश्रयी टोड - हायला के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
वृक्षाश्रयी टोड - हायला के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
- इसका शरीर मुख्यतः 2-6 सेमी लम्बा दुबला-पतला व चिकना हरा-सा होता है तथा इसकी टाँगें लम्बी होती है।
- इनकी अँगुलियों के सिरों पर विशेष प्रकार की ग्रन्थियाँ होती है जिसके कारण यह फूली हुई चिपचिपी गद्दियों (adhesive pads) जैसी दिखती है। इन्हीं की सहायता से ये टोड पेड़ों आदि पर चढ़ते हैं।
- इनके पीछे के पैरों की अँगुलियों के बीच विकसित जाल (web) उपस्थित रहता है।
- इसकी तुण्ड (trunk) आगे से अर्धवृत्ताकार-सी होती है।
- इसकी मुख-ग्रासन गुहिका में दाँत केवल ऊपरी जबड़े में होते हैं।
- नर में एक जोड़ी विकसित स्वर कोष्ठक होता है जिनसे तीखी ध्वनि उत्पन्न होती है।
- कुछ सीमा तक ये अपने रंग को वातावरण के रंग के अनुसार बदल सकते हैं।
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