साँप - सर्प (Snakes) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|hindi


साँप - सर्प (Snakes) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन
साँप - सर्प (Snakes): वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|hindi

सर्प सभी ने देखे हैं। इनकी संसारभर में लगभग 3,000 और हमारे देश में लगभग 350 जातियाँ मिलती हैं। गरम देशों में ये अधिक होते हैं। लगभग 300 जातियों के सर्प बहुत विषैले होते हैं। विष का प्रभाव मानव शरीर पर भी प्रायः प्राणघातक होता है। संसारभर में प्रतिवर्ष लगभग एक लाख तथा अकेले भारत में लगभग 30 हजार व्यक्ति सर्पदंश से प्राण गँवा देते हैं। अतः सर्पों का अध्ययन व्यावहारिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होता है।

वर्गीकरण (Classification)

जगत (Kingdom)            -      जन्तु (Animalia)
शाखा (Branch)               -      यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
प्रभाग (Division)             -      बाइलैटरिया (Bilateria)
उपप्रभाग (Subdivision)  -      ड्यूटरोस्टोमिया  (Deuterostomia)
खण्ड (Section)               -      यूसीलोमैटा (Eucoelomata)
संघ (Phylum)                 -       कॉर्डेटा  (Chordata)
उपसंघ (Subphylum)      -       वर्टीब्रेटा (Vertebrata)
महावर्ग (Superclass)       -       चतुष्पादा (Tetrapoda)
वर्ग (Class)                     -        सरीसृप (Reptilia)
उपवर्ग (Subclass)           -       लेपिडोसॉरिया (Lepidosauria)
गण (Order)                    -        स्क्वैमैटा (Squa mata)
उपगण (Suborder)          -       सरपेन्टीज या ओफीडिया (Serpentes or Ophidia)

साँप - सर्प (Snakes) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|hindi


लक्षण(characteristic)
साँपों के शरीर के लक्षण इस प्रकार है-
  1. साँपों का शरीर लगभग 15 सेमी से 10 मीटर तक लम्बा व सँकरा तथा बेलनाकार एवं पादविहीन होता है।
  2. इनका सिर छोटा तथा त्रिकोणाकार-सा होता है। जिस पर गोल नेत्र, बाह्य नासाद्वार एवं मुखद्वार उपस्थित होता है, परन्तु बाह्य कर्ण गर्त एवं कर्णपटह अर्थात् टिम्पैनिक कलाएँ (मध्य कर्ण ) अनुपस्थित रहता है। अतः इससे यह पता चलता है कि साँप सुन नहीं सकते। ये भूमिगत् ध्वनि तरंगों को त्वचा द्वारा ग्रहण करते हैं। स्पष्ट है कि सँपेरे की है बीन बजते समय नाग इसकी ध्वनि से नहीं, वरन् गति (movement) से प्रभावित होकर झूमता है।
  3. प्रत्येक नेत्र की पलकें समेकित होकर एक महीन पारदर्शक झिल्ली का सुरक्षात्मक आवरण बनाती हैं।
  4. इसकी गुदा के पीछे लम्बी पूँछ होती है।
  5. इसके पूरे शरीर पर हॉर्नी शल्कों (horny scales) का आवरण होता है। इसे सर्प साल भर में एक-दो बार केंचुल के रूप में उतार देता है (sloughing)। केंचुल-त्याग के समय आँखों पर की झिल्ली के अपारदर्शक हो जाने से साँप अन्धा हो जाता है।
  6. इनके निचले जबड़े के अर्धाश (half half) आगे लचीले स्नायुओं (ligaments) द्वारा जुड़े होने के कारण परस्पर काफी दूर-दूर हट सकते हैं। इसके अतिरिक्त, दोनों जबड़ों की संधियों पर भी एक-एक स्वतन्त्रतापूर्वक चल क्वाड्रेट अस्थियाँ एवं ढीले स्नायु होते हैं। अतः मुख काफी चौड़ा खुल जाता है। इसीलिए, सर्प काफी बड़े शिकारों को समूचा निगल लेते हैं। 
  7. इनकी जिह्वा लम्बी, पतली, आगे से द्विशाखित (bifid) होती है तथा अत्यधिक संवेदी (घ्राण) होती है। मुख-ग्रासन गुहिका में यह एक थैली में बन्द रहने के कारण तभी दिखाई देती है जब साँप इसे वातावरण का ज्ञान प्राप्त करने हेतु बार-बार बाहर निकालता है।
  8. इनमें गमन देहभित्ति की पेशियों की पक्षवर्ती तरंग-गतियों (sideward undulations) तथा अनुप्रस्थ अधरतलीय शल्कों की गतियों द्वारा होता है।
  9. इनके जबड़ों पर समान से नुकीले और पीछे की ओर मुड़े लगभग एक सौ से अधिक दाँतों की चार-चार या छः छः कतारें होती हैं। ये भोजन को चबाने योग्य नहीं होते केवल गुहिका से शिकार को वापस फिसल जाने से रोकते हैं।
  10. विषैले साँपों में ऊपरी जबड़े की मैक्सिली हड्डियों के 1, 2 या 3 जोड़ी बड़े व प्रायः पीछे की ओर मुड़े विषदन्त (poison fangs) तालु से मुख ग्रासन गुहिका में उभरे रहते हैं। इनका सम्बन्ध, ऊपरी जबड़े में ही स्थित, बड़ी विष ग्रन्थियों (poison glands) से होता है।
  11. कशेरुकदण्ड में 200-300 पसलीयुक्त कशेरुकाएँ होती हैं। इनमें पादों के साथ-साथ मेखलाएँ (girdles) भी अनुपस्थित रहती हैं। कुछ (अजगर एवं बोआ) में पादों की अस्थियों और श्रोणिमेखला के अवशेष उपस्थित रहते हैं। उरोस्थि (sternum) अनुपस्थित होती है अतः पसलियाँ अधर शल्कों से लगी रहती है।
  12. गमन में पसलियों के दबाव से अधर शल्के उभरकर भूमि में गड़ती हैं और तभी सर्प को आगे बढ़ने का सहारा मिलता है।
  13. इनमें फेफड़े, वृक्क अर्थात् गुर्दे व जनद (gonads) दाएँ-बाएँ आमने-सामने न होकर आगे-पीछे स्थित रहती है और असमान होती है।इनमें बायाँ फेफड़ा प्रायः अविकसित मूत्राशय अनुपस्थित रहता है।


इन्हें भी पढ़ें -

No comments:

Post a Comment