भारत में विभिन्न श्रेणी तथा जाति के सांप पाए जाते हैं। इन्हें आप कई जगहों पर देख सकते हैं जैसे खाली पड़े खंडहर में बारिश के समय टूटे-फूटे घर में आदि जगहों पर। इन सांपों में कई साथ ऐसे होते हैं जो बहुत अधिक जहरीले होते हैं लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो बिल्कुल भी जहरीले नहीं होते हैं। कई सांप ऐसे होते हैं जिनके जहर से दवाई बनाई जाती है। विभिन्न श्रेणियों के सांप मुख्यतः जंगलों में देखे जा सकते हैं लेकिन कई बार ऐसा होता है कि जंगलों से निकलकर शायरी या गांव के इलाकों में आ जाते हैं जिससे कई बार लोगों की जान को भी खतरा हो जाता है।
नीचे हम भारत में पाए जाने वाले कुछ प्रमुख सांपो के बारे में जानेंगे और उनका अध्ययन करेंगे।
नीचे हम भारत में पाए जाने वाले कुछ प्रमुख सांपो के बारे में जानेंगे और उनका अध्ययन करेंगे।
1. नाग या कोब्रा (Cobra genus Naja): यह 2 से 2.5 मीटर तक लम्बा, काला, गहरा भूरा या सलेटी से रंग का सामान्य भारतीय सर्प होता है। यह अपनी गरदन को, ग्रीवा-पसलियों की सहायता से, फण (hood) के रूप में फैला सकता है। फण पर, कुछ नागों में, एक गोल धब्बा (केवटिया-mono-ocellate नाग) तथा कुछ में चश्मे की आकृति बनाते हुए 2 धब्बे (गोखुरा—biocellate नाग) होते हैं। पूँछ की अधर शल्कें बीच से दो-दो में बँटी होती हैं।
राजस्थान, सिन्ध तथा हिमाचल के जंगलों में 5-6 मीटर तक लम्बा शेषनाग या नागराज (king cobra – Naja bungarus) पाया जाता है। इसके शरीर पर सफेद धारियाँ-सी पड़ी होती हैं। यह बहुत गुस्सैल होता है और अन्य छोटे साँपों को खा जाता है। इसका विष, मात्रा में अधिक होने के कारण, प्राणघातक होता है। नाग सब अण्डयुजी (oviparous) होते हैं।
2. वाइपर (Viper—genus Vipera): सिर पर गड्ढों वाला पिट वाइपर (pit viper) पहाड़ी क्षेत्रों में मिलता है। यह एक मीटर तक लम्बा, भूरा व धब्बेदार होता है। भारत में इसकी कई जातियाँ मिलती हैं—“फूरसा या अफाई” दक्षिण भारत के पश्चिमी क्षेत्रों में मिलता है। इसके सिर पर एक चिड़िया के पंजे के से निशान होते हैं। भूरा-सा "हिमालयी वाइपर" (Ancistrodon himalayanus) जिसका सिर चौड़ा एवं त्रिकोणाकार होता है तथा हरा "बाँस वाइपर (bamboo viper)” हिमालय पर मिलते हैं। गड्ढेरहित रसेल का वाइपर (Russel's viper) जो 'दबोइया', 'जेसुर', 'गुन्नस', 'पोलोंगों', 'विस्कोबरा' आदि नामों से जाना जाता है, उत्तर प्रदेश व पंजाब में मिलता है। यह 1.5 से 2 मीटर तक लम्बा और भूरे रंग का होता है। पीठ पर काले बिन्दुओं की तीन धारियाँ और सिर पर बड़े-बड़े काले धब्बे होते हैं। वाइपर सब जरायुजी (viviparous) होते हैं।
3. करैत (Krait-Bungarus): इनकी भी कई जातियाँ भारत में मिलती हैं। ये 1 से 2 मीटर तक लम्बे होते हैं। इन्हें 'कौड़िया' या "चितकौड़िया" सर्प कहते हैं। इनकी पीठ का रंग चमकीला काला या सलेटी होता है। इनके विषदन्त कुछ छोटे होते हैं, फिर भी ये सबसे अधिक (कोब्रा से 4 गुणा अधिक) विषैले होते हैं। पूँछ की अधर शल्कें बीच में बँटी नहीं होतीं। मध्यपृष्ठ रेखा पर बड़ी, षट्कोण शल्कों की लम्बी पंक्ति होती है। मादाएँ अण्डयुजी होती हैं।
4. धामन (Zamensis) : यह 2 से 2.5 मीटर तक लम्बा, भूरा-सा विषहीन सर्प होता है। प्रायः यह हमारे बाग-बगीचों, खेतों, आदि में बिलों में रहता है। यह चूहों को खाकर हमें लाभ पहुँचाता है। यह नागों की भाँति अण्डयुजी (oviparous) होता है।
5. अजगर (Python) : यह जंगलवासी, लगभग 6 मीटर तक लम्बा और मोटा, भारी-भरकम तथा विषहीन साँप होता है। यह भेड़, बकरी, गाय, हिरन और शेर, बाघ तक को समूचा निगल जाता है। इसमें पश्चपादों के अवशेष पाए जाते हैं।
6. दुमुँही (Eryx) : यह छोटा एवं मोटा-सा, गहरा भूरा विषहीन सर्प होता है जिसमें गरदन स्पष्ट नहीं होती। इसकी पूँछ का छोर सिर जितना ही मोटा होता है। इसीलिए यह दुमुँहा (double-headed) दिखाई देता है। यह चूहों और गिलहरियों, आदि का भक्षण करता है।
7. समुद्री सर्प (Sea Snake genus Hydrophis) : यह प्रशान्त एवं भारतीय महासागरों में बहुतायत से पाया जाने वाला विषैला सर्प है। इसका शरीर लम्बा, परन्तु अपेक्षाकृत पतला होता है। इसका पृष्ठतलीय रंग गहरा जैतूनी -हरा होता है और इस पर पीली अनुप्रस्थ पट्टियाँ-सी होती हैं। अधरतलीय रंग सफेद-सा होता हैं तथा चपटी पूँछ तैरने में डाँड का-सा काम करती है। वाइपरों की भाँति यह जरायुजी (viviparous) होती हैं अर्थात यह बच्चों को जन्म देती हैं।
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