जब श्रोता और ध्वनि के स्रोत के बीच आपेक्षिक गति (relative motion) होती है, तो श्रोता को ध्वनि की आवृत्ति बदलती हुई प्रतीत होती है। आपेक्षिक गति से जब श्रोता तथा ध्वनि-स्रोत के मध्य दूरी बढ़ रही होती है तो आवृत्ति घटती हुई और जब दूरी घट रही होती है तो आवृत्ति बढ़ती हुई प्रतीत होती है। ध्वनि स्रोत तथा श्रोता के मध्य आपेक्षिक गति के कारण ध्वनि-स्रोत की आवृत्ति में उत्पन्न आभासी परिवर्तन (apparent change) का अध्ययन सर्वप्रथम डॉप्लर ने सन् 1842 में किया था, इसी कारण इसे डॉप्लर प्रभाव कहते हैं।
जब ध्वनि स्त्रोत स्थिर तथा श्रोता इसकी ओर गतिमान है तो आभासी आवृत्ति का व्यंजक माना कि ध्वनि-स्रोत S स्थिर (vs-0) है तथा श्रोता O चाल vo से ध्वनि के चलने की दिशा के विपरीत चलकर स्रोत की ओर जा रहा है।
यदि श्रोता भी स्थिर होता तो वह 1 सेकण्ड में ध्वनि-स्रोत से आने वाली n तरंगें सुनता। परन्तु चूँकि वह स्वयं 1 सेकण्ड में vo दूरी स्रोत की ओर तय कर लेता है [ अतः वह इन तरंगों के अतिरिक्त दूरी vo में फैली vo/λ तरंगों को भी सुन सकेगा।
अत: 1 सेकण्ड में श्रोता द्वारा सुनी गयी कुल तरंगों की संख्या अर्थात् आभासी आवृत्ति
n' = n + vo/λ = n+vo/v/n [∵ λ=v/n]
= n+ nvo/v = n(1+vo/v) अथवा n' = n(v+vo/v)
जो कि वास्तविक आवृत्ति n से अधिक है।
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