तरंग के सम्बन्ध में कुछ परिभाषायें तथा सूत्र (Definitions and Formulas Regarding Wave)|hindi


तरंग के सम्बन्ध में कुछ परिभाषायें तथा सूत्र (Definitions and Formulas Regarding Wave)

ध्वनि तथा तरंगों 
के प्रकार के बारे में हम पहले पढ़ चुके हैं।नीचे हम तरंगों से संबंधित कुछ परिभाषाओं के बारे में जानेंगे और उनके सूत्रों के बारे में पढ़ेंगे।


तरंग के संबंध में कुछ परिभाषाएं
जब किसी माध्यम में अनुप्रस्थ अथवा अनुदैर्घ्य तरंग संचरित होती है तो माध्यम के सभी कण एक ही प्रकार कम्पन करते हैं परन्तु कम्पन की कला एक कण से दूसरे कण पर बदलती जाती है। तरंग के संबंध में कुछ परिभाषाएं इस प्रकार हैं -

(i) आयाम (Amplitude) : किसी माध्यम में तरंग संचरित होने पर माध्यम का कम्पन करता हुआ कोई भी कण अपनी साम्यावस्था के दोनों ओर जितना अधिक से अधिक विस्थापित होता है उस दूरी को तरंग का 'आयाम' कहते हैं। चित्र↓ में इसे a से प्रदर्शित किया गया है।
तरंग के सम्बन्ध में कुछ परिभाषायें तथा सूत्र (Definitions and Formulas Regarding Wave)|hindi

(ii) आवर्त्तकाल (Time Period) : किसी माध्यम में तरंग संचरित होने पर, माध्यम का कोई भी कण अपना 1 कम्पन पूरा करने में जितना समय लेता है उसे तरंग का 'आवर्त्तकाल' कहते हैं। इसे T से प्रदर्शित करते हैं।

(iii) आवृत्ति (Frequency) : किसी माध्यम में तरंग संचरित होने पर, माध्यम का कोई भी कण 1 सेकण्ड में जितने कम्पन करता है उस संख्या को तरंग की 'आवृत्ति' कहते हैं। इसे n से प्रदर्शित करते हैं। इसका मात्रक सेकण्ड-¹ अथवा हर्ट्स होता है।


T सेकण्ड में माध्यम के किसी कण द्वारा किये गये कम्पनों की संख्या = 1

1 सेकण्ड में माध्यम के कण द्वारा किये गये कम्पनों की संख्या = 1/T

इस प्रकार,
n = 1 / T

(iv) कला (Phase) : कम्पन करते हुए किसी कण की किसी क्षण कला, उस क्षण कण की स्थिति तथा गति की दिशा को प्रकट करती है। यदि माध्यम के दो कण किसी क्षण साम्यावस्था से एक ही दिशा में समान दूरियों पर हों तथा एक ही दिशा में गतिशील हों तो वे दोनों 'समान कला' में कहलाते हैं। ऊपर↑ दिए चित्र में कण A, E  व I  एक ही कला में हैं। इसी प्रकार कण BF  भी एक ही कला में हैं।

(v) तरंग दैर्घ्य (Wavelength) : माध्यम के किसी भी कण के एक पूरे कम्पन के समय में तरंग जितनी दूरी तय करती है, उसे 'तरंग दैर्घ्य' कहते हैं; अथवा किसी तरंग में समान कला वाले दो निकटतम कणों के बीच की दूरी को 'तरंग दैर्घ्य' कहते हैं। इसे 
λ से प्रदर्शित करते हैं।(ऊपर चित्र में देखें)

अनुप्रस्थ तरंग में किन्हीं दो समीपवर्ती शृंगों अथवा गर्तों के बीच की दूरी तरंगदैर्घ्य कहलाती है। अनुदैर्घ्य तरंग में किन्हीं दो समीपवर्ती अधिकतम संपीडन अथवा अधिकतम विरलन वाले कणों के बीच की दूरी तरंगदैर्घ्य कहलाती है। ।

(vi) तरंग-वेग (Wave Velocity) : कोई तरंग 1 सेकण्ड में जितनी दूरी तय करती है उसे तरंग-वेग कहते हैं। इसे v से प्रदर्शित करते हैं।


आवृत्ति, वेग तथा तरंग दैर्घ्य में सम्बन्ध : मान लो कम्पन करती हुई किसी वस्तु का आवर्त्तकाल T  तथा आवृत्ति n है। इस वस्तु द्वारा उत्पन्न तरंग T सेकण्ड में 
λ दूरी तय करेगी, जहाँ λ तरंगदैर्घ्य है।
इस प्रकार,

T सेकण्ड में तरंग द्वारा चली गई दूरी = λ
1 सेकण्ड में तरंग द्वारा चली गई दूरी = λ / T

परन्तु 1 सेकण्ड में चली गई दूरी तरंग का वेग v है । अतः

v = λ / T

अथवा
v = n λ           [∵ n = 1/T]
वेग - आवृत्ति ✕ तरंग दैर्घ्य 


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