मेंढक की त्वचा की ऊर्ध्वाधर भाग का वर्णन (Vertical section of the skin of a frog)
मेंढक Amphibia वर्ग का जीव है जो मुख्यतः बारिश के दिनों में दिखने वाला सामान्य उभयचर जीव होता है। यह टोड से पूरी तरीके से भिन्न नहीं होता किंतु कुछ कुछ लक्षण उससे भिन्न होते हैं।
मेंढक का वर्गीकरण (Classification of Frog)
जगत (Kingdom) - जन्तु (Animalia)
शाखा (Branch) - यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
प्रभाग (Division) - बाइलैटरिया (Bilateria)
उपप्रभाग (Subdivision) - ड्यूटरोस्टोमिया (Deuterostomia)
खण्ड (Section) - यूसीलोमैटा (Eucoelomata)
संघ (Phylum) - कॉर्डेटा (Chordata)
महावर्ग (Superclass) - चतुष्पादा (Tetrapoda)
वर्ग (Class) - ऐम्फिबिया (Amphibia)
उपवर्ग (Subclass) - सैलेन्शिया (Salientia)
गण (Order) - ऐन्यूरा (Anura)
मेंढक की त्वचा की ऊर्ध्वाधर काट करने पर हमें निम्नलिखित ऊतकीय विवरण दर्शाता है:
1. मेंढक की त्वचा या अध्यावरण दो अलग-अलग परतों से मिलकर बनी होती है, बाहरी परत को ectodermal epidermis और आंतरिक परत को mesodermal dermis कहते हैं।
2. एपिडर्मिस एक या दो परतों में व्यवस्थित flattened dead horny cells की बाहरी stratum corneum से बनी होती है, जिसे squamous epithelium के रूप में निकाला जाता है और stratum Malpighi की सबसे भीतरी परत बेसमेंट झिल्ली के ऊपर स्थित होती है।
3. Dermis मुख्यतः संयोजी ऊतक से बना होता है जो दो अलग-अलग परतों में विभेदित होता है, जिसमें बाहरी स्पंजी परत और आंतरिक सघन परत होती है।
(i) स्पंजी परत ढीले संयोजी ऊतक से बनी होती है और इसमें श्लेष्म ग्रंथियां, रक्त वाहिकाएं, तंत्रिका तंतु, lymph spaces और melanophores आदि होते हैं।
(ii) श्लेष्म ग्रंथियाँ (Mucous glands) कुप्पी के आकार की होती हैं, जो त्वचा की सतह पर खुलती हैं। यह ग्रंथियां mucus का स्राव करती हैं और शरीर को फिसलनदार बनाती हैं। यह stratum Malpighi से निकलती हैं और इनका शरीर dermis में स्थित होता है।
(iii) Melanophores डर्मिस की ऊपरी परत में मौजूद pigment cells होती हैं और मूल रूप से ectodermal हैं। यह त्वचा के रंग को बदलने के लिए जिम्मेदार है।
4. सघन परत horizontal और vertical strands वाले घने रेशेदार संयोजी ऊतक (dense fibrous connective tissue) से मिलकर बनी होती है।
त्वचा के कार्य (Functions of skin)
मेंढक की त्वचा के कई कार्य होते हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है:
(i) शरीर की सुरक्षा करता है।
(ii) त्वचा को नम और फिसलनदार बनाए रखने के लिए यह mucus का उत्पादन करता है, ताकि यह दुश्मनों से बच जा सके।
(iii) यह श्वसन में मदद करती है और O2 और CO2 के आदान-प्रदान की अनुमति देती है
(iv) उत्सर्जन में मदद करती है।
(v) संवेदी होती है।
इन्हें भी पढ़ें -
No comments:
Post a Comment