यह हमारे देश का काला-सा बड़ा (30 सेमी तक लम्बा) चमगादड़ होता है। चमगादड़ हवा में उड़ने वाले स्तनी होते हैं।यह दिन के समय पेड़ों की शाखाओं, बिजली के तारों, टूटे फूटे सुनसान मकानों में धन्नियों, आदि से लटके रहते हैं और रात में निकलकर खेतों, बाग-बगीचों में फलों, आदि का भक्षण करते हैं।इनकी देखने की शक्ति तो कम होती है लेकिन इनके सुनने की शक्ति बहुत तीव्र होती है । इनमें एक ध्वनि या राडार उपतन्त्र (sonar or radar system) होता है। जिसके द्वारा यह एक प्रकार की ध्वनि निकालते हैं जो आगे वस्तु से टकराकर इनके पास वापस जाती है तथा इन्हें रास्ता दिखाने में मदद करती है। इनसे संबंधित अन्य तथ्यों के बारे में हम नीचे जानेंगे।
वर्गीकरण (Classification)
जगत (Kingdom) - जन्तु (Animalia)
शाखा (Branch) - यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
प्रभाग (Division) - बाइलैटरिया (Bilateria)
उपप्रभाग (Subdivision) - ड्यूटरोस्टोमिया (Deuterostomia)
खण्ड (Section) - यूसीलोमैटा (Eucoelomata)
संघ (Phylum) - कॉर्डेटा (Chordata)
उपसंघ (Subphylum) - वर्टीब्रेटा (Vertebrata)
महावर्ग (Superclass) - चतुष्पादा (Tetrapoda)
वर्ग (Class) - स्तनी (Mammalia)
उपवर्ग (Subclass) - थीरिया (Theria)
अधिवर्ग (Infraclass) - यूथीरिया (Eutheria)
गण (Order) - काइरोप्टेरा (Chiroptera)
लक्षण (Characteristic)
चमगादड़ के प्रमुख लक्षण इस प्रकार है-
- वायु में उड़ने के लिए इनके अग्रपाद पंखों (wings) में रूपान्तरित हो जाते हैं इसलिए इन्हें उड़न-लोमड़ियाँ (flying foxes) भी कहते हैं। प्रत्येक अग्रपाद की चार अँगुलियाँ अत्यधिक लम्बी और इनके बीच लचीली झिल्लीनुमा त्वचा आगे गरदन तक तथा पीछे धड़ के छोर तक फैली। इसे चर्मप्रसय या पैटेजियम (patagium) कहते हैं तथा दूसरी अँगुली पर एक पंजा होता है।
- इनके पश्चपादों पर पाँच-पाँच पंजेदार अँगुलियाँ होती है। इनसे जन्तु दिन के समय वस्तुओं से उल्टा लटका रहता है।
- इसके सिर आगे थूथन या तुण्ड (muzzle or snout) जैसा बना होता है जिस पर मुखद्वार, नासिका, नेत्र तथा कर्णपल्लव उपस्थित रहते हैं।
- इनकी पूँछ छोटी, परन्तु स्पष्ट होती है।
- इनकी दृष्टि-ज्ञान की क्षमता कम होती है, परन्तु श्रवण एवं स्पर्श- ज्ञान की अधिक होती है। इनमें एक ध्वनि या राडार उपतन्त्र (sonar or radar system) होता है। इस तन्त्र के अन्तर्गत, चमगादड़ तीव्र दर से (आवृत्ति - frequency – 50 हजार प्रति सेकण्ड) चूँ-चूँ की ध्वनि उत्पन्न करते हैं। उड़ते समय मार्ग में आगे उपस्थित बाधाओं से टकराकर इस ध्वनि की सीधी प्रतिध्वनि (echo) वापस आती है जिससे चमगादड़ों को इन बाधाओं का पूर्व ज्ञान हो जाता है। इसे ईकोलोकेशन (echolocation) प्रक्रिया कहते हैं।
- इनके पूरे शरीर पर घने, काले या भूरे से कोमल बालों का लोमचर्म (pelage) होता है।
- इनके वक्ष पर स्तन ग्रन्थियाँ और 2 चूचुक होते हैं। नर में स्पष्ट शिश्न उपस्थित रहते हैं।
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