भारतीय गिलहरी (Squirrel Funambulus) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|hindi


भारतीय गिलहरी (Squirrel Funambulus) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन

भारतीय गिलहरी (Squirrel Funambulus) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|hindi

मानव बस्तियों में पेड़ों पर आम पाई जाने वाली गिलहरी को सब जानते हैं। यह बहुत चुस्त, तेज भागने वाली होती है जो फलों, तरकारियों, बीजों, कलियों को कुतर- कुतरकर खाती है। यह मुख्यतः गर्मियों में दिखाई देती है लेकिन कई बार ऐसे सर्दी में भी देखा गया है जब धूप होती है। यह पेड़ों पर टहनियों और पत्तियों का घोंसला बनाती है और उस में रहती हैं। इससे संबंधित अन्य तथ्य के बारे में हम नीचे जानेंगे।


वर्गीकरण (Classification)

जगत (Kingdom)             -       जन्तु (Animalia)
शाखा (Branch)                -       यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
प्रभाग (Division)              -       बाइलैटरिया (Bilateria)
उपप्रभाग (Subdivision)   -       ड्यूटरोस्टोमिया  (Deuterostomia)
खण्ड (Section)                -       यूसीलोमैटा (Eucoelomata)
संघ (Phylum)                   -      कॉर्डेटा  (Chordata)
उपसंघ (Subphylum)        -      वर्टीब्रेटा (Vertebrata)
महावर्ग (Superclass)         -      चतुष्पादा (Tetrapoda)
वर्ग (Class)                        -      स्तनी (Mammalia)
उपवर्ग (Subclass)             -      थीरिया (Theria)
अधिवर्ग (Infraclass)          -      यूथीरिया (Eutheria)
गण (Order)                      -      रोडेन्शिया (Rodentia)

भारतीय गिलहरी (Squirrel Funambulus) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|hindi
लक्षण (Characteristic)
गिलहरी के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
  1. इसका शरीर 15 से 27 सेमी तक का लम्बा होता है तथा सिर, गरदन, धड़ एवं लम्बी पूँछ में विभेदित रहता है।
  2. इसके पूरे शरीर पर भूरे या हल्के सलेटी से कोमल फर का आवरण होता है।  इसकी पीठ पर 3 या 5 गहरे रंग की लम्बी धारियाँ होती है तथा उदर का रंग सफेद होता है।
  3. इसके सिर के आगे छोटी-सी तुण्ड होती है और इस पर बाह्य नासाद्वार, नासाबाल (vibrissae), कर्णपल्लव, नेत्र एवं मुखद्वार होते हैं। इसके ऊपरी होंठ शशक की भाँति बीच में कटा रहता है।
  4. इसके नेत्र बड़े होते हैं तथा इसकी गतिशील पलकों पर बरौनियाँ (eyelashes) उपस्थित रहते हैं। इन पर निमीलिक झिल्ली उपस्थित होती है।
  5. इसका ऊपरी होंठ, शशक की भाँति बीच से कटा रहता है। अतः पत्ती, कली, फल, आदि को कुतर कुतरकर खाती है।
  6. इसके धड़ पर उदर के पश्च भाग में स्थित दो जोड़ी स्तन (mammae) होते हैं। 
  7. पूँछ की जड़ में गुदा और ठीक इसके आगे जननांग (मादा में भग तथा नर में अण्डकोष एवं शिश्न) होते हैं। 
  8. इनके अग्रपाद छोटे होते हैं। इन पर चार-चार तथा पश्चपादों पर पाँच-पाँच पंजेदार अँगुलियाँ।
  9. इनकी हथेलियाँ और तलवे कोमल व गद्दीदार होते हैं।
  10. इनकी पूँछ लम्बे बालों के कारण झबरी सी दिखाई देती है।



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