यह मानव बस्तियों में पाया जाने वाला सामान्य कबूतर होता है।जो प्रायः पुराने मकानों, गोदामों, मन्दिरों, मस्जिदों, गिरजाघरों, रेलवे स्टेशनों, आदि में घोंसला बनाता है।यह मुख्यतः अनाज के दानों, फलों, आदि और कभी-कभी घोंघों, कीड़े-मकोड़ों, आदि पर निर्वाह करते हैं। इससे संबंधित अन्य तथ्यों के बारे में हम नीचे जानेंगे।
वर्गीकरण (Classification)
जगत (Kingdom) - जन्तु (Animalia)
शाखा (Branch) - यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
प्रभाग (Division) - बाइलैटरिया (Bilateria)
उपप्रभाग (Subdivision) - ड्यूटरोस्टोमिया (Deuterostomia)
खण्ड (Section) - यूसीलोमैटा (Eucoelomata)
संघ (Phylum) - कॉर्डेटा (Chordata)
उपसंघ (Subphylum) - वर्टीब्रेटा (Vertebrata)
महावर्ग (Superclass) - चतुष्पादा (Tetrapoda)
वर्ग (Class) - पक्षी (Aves)
उपवर्ग (Subclass) - निओर्निथीज (Neornithes)
महागण (Superorder) - नियोग्नैथी (Neognathae)
गण (Order) - कोलम्बीफॉर्मीस (Columbiformes)
लक्षण (Characteristic)
कबूतर के प्रमुख लक्षण इस प्रकार है-
- इसका शरीर लगभग 20 से 25 सेमी लम्बा, सलेटी से रंग के परों (feathers) द्वारा ढका हुआ होता है। तथा इसकी गरदन के चारों ओर एक हरी या बैंगनी मुद्राकार-सी धारी बनी रहती है।
- इसका सिर गोल-सा, ग्रीवा लचीली, धड़ मोटा तथा पूँछ छोटी-सी होती है।
- इसकी चोंच (beak) छोटी व कुछ मुड़ी हुई सी रहती है।
- इसकी चोंच के आधार भाग के पृष्ठतल पर दो तिरछे बाह्य नासाद्वार होता हैं। इनके ठीक पीछे चोंच पर फूली हुई-सी मांसल त्वचा ढकी रहती है जिसे सेरी (cere) कहते हैं।
- इसके नेत्र बड़े व गोल होते हैं। इन पर गतिशील पलकों के अतिरिक्त निमीलक झिल्ली (nictitating membrane) भी होती है।
- इसके नेत्रों से पीछे, परों द्वारा ढके कर्ण होते हैं।
- इसके पश्चपादों के अतिरिक्त शेष शरीर परों (feathers) द्वारा ढका रहता है जो बाह्य कंकाल (exoskeleton) बनाते है।
- इसके अग्रपाद बड़े, परयुक्त पंखों (wings) में रूपान्तरित हो जाते हैं। इन पर अँगुलियाँ अनुपस्थित रहती है। इनके पश्चपाद सामान्य रहते हैं। इन पर शल्कें (scales) तथा चार-चार पंजेयुक्त अँगुलियाँ उपस्थित रहती हैं।
- इसके नर व मादा की रचना में तो नहीं, अपितु रंग में भेद होता है तथा नर में मैथुन अंग नहीं होते हैं।
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