यह हमारे देश की नदियों में पाए जाने वाला सामान्य, बड़ा कछुआ होता है। इसकी आयु लगभग 100 वर्ष या उससे अधिक होती है। समुद्र में पाए जाने वाले कछुए विभिन्न जातियों के होते हैं। इन से जुड़े अन्य तथ्यों के बारे में हम नीचे जानेंगे।
वर्गीकरण (Classification)
जगत (Kingdom) - जन्तु (Animalia)
शाखा (Branch) - यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
प्रभाग (Division) - बाइलैटरिया (Bilateria)
उपप्रभाग (Subdivision) - ड्यूटरोस्टोमिया (Deuterostomia)
खण्ड (Section) - यूसीलोमैटा (Eucoelomata)
संघ (Phylum) - कॉर्डेटा (Chordata)
उपसंघ (Subphylum) - वर्टीब्रेटा (Vertebrata)
महावर्ग (Superclass) - चतुष्पादा (Tetrapoda)
वर्ग (Class) - सरीसृप (Reptilia)
उपवर्ग (Subclass) - ऐनैप्सिडा (Anapsida)
गण (Order) - किलोनिया (Chelonia)
लक्षण (Characteristic)
कछुए के प्रमुख लक्षण इस प्रकार है -
- इनका शरीर अपेक्षाकृत कम लम्बा एवं चौड़ा, जैतूनी हरा-सा, 20 से 75 सेमी लम्बा होता है जो चिम्मड़ त्वचा से ढके एक कोमल अस्थीय कवच (shell) में बन्द रहता है।
- इस कवच में सिर, पैरों तथा पूँछ के लिए बड़े-बड़े छिद्र होते हैं जिनमें से ये अंग बाहर निकाले जा सकते हैं या वापस कवच में सिकोड़े जा सकते हैं। कवच मुख्यतः एक पृष्ठ (पृष्ठवर्म अर्थात् कैरापेस—carapace) तथा एक अधर (प्लैस्ट्रॉन-plastron) नामक चपटी और आयताकार-सी प्लेटों का बना होता है।
- इनका सिर आगे से सँकरा तथा तुण्डनुमा होता है। जिस पर नेत्र, बाह्य नासाद्वार तथा मुखद्वार उपस्थित रहते हैं।
- इनकी सिर के पीछे लम्बी एवं लचीली गरदन होती है।
- इनके कर्ण कान त्वचा द्वारा ढके रहते हैं।
- इनके पाद छोटे, परन्तु जल में तैरने के लिए चौड़े एवं जालयुक्त होते हैं। प्रत्येक पैर में तीन-तीन पंजेदार अँगुलियाँ होती हैं तथा पूँछ छोटी होती है।
- इनके मुख-ग्रासन गुहिका में दाँत नहीं होते हैं। लेकिन जबड़ों पर उपस्थित मोटी व नुकीली, कठोर हॉर्न की गद्दियाँ (horny pads) होती है जिनके द्वारा ये मछलियों, मेंढकों, घोंघों आदि को कुचल-पीसकर खाते हैं।
- इनकी गुदा लम्बवत् दरारनुमा होती है।
- मादाएँ अपने अण्डे जल के बाहर रेत में गड्ढा खोदकर देती हैं।
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